किसान आंदोलन के समर्थन में आज आम आदमी पार्टी बस्तर द्वारा जिलाध्यक्ष के निवास पर उपवास किया गया
ब्यूरो रिपोर्ट राजेश
किसान आंदोलन के समर्थन में आज आम आदमी पार्टी बस्तर द्वारा जिलाध्यक्ष के निवास पर उपवास किया गया
किसान आंदोलन में शामिल 11 किसानों की जान जा चुकी है और भाजपा के नेता-मंत्री अहंकार में चूर है उन्हें लगता है कि इस आंदोलन को तोड़ देंगे-तरुणा बेदरकर
भाजपा की केंद्र सरकार ने माना है कि तीनों कृषि बिल में खामी व कमी है तो फिर इन्हें वापस लेने में क्यों हिचकिचा रहे है?-विवेक शर्मा
आदमी पार्टी बस्तर के जिला अध्यक्ष तरुणा बेदरकर ने कहा कि आम आदमी पार्टी किसानों की मांगों के समर्थन में पूरी तरह से हर कदम पर उनके साथ खड़ी है। आंदोलन के साथ-साथ पार्टी के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारीयों द्वारा सेवादारी का जो कार्यक्रम सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर सहित अलग-अलग बॉर्डर पर चलाया जा रहा है, इससे सभी अवगत है । हम पूरी तरह से किसानों की मांगों के समर्थन में हैं। देश ने दो बार देखा है, जब किसान दिल्ली की सीमा पर सड़क पर थे। प्रधानमंत्री वाराणसी में किसानों के मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। हमने अभी देखा कि फिक्की के अधिवेशन में देश के उद्योगपतियों के साथ प्रधानमंत्री वार्ता कर रहे थे और किसानों के मुद्दे पर चर्चा कर रहे थे। हम केंद्र सरकार से और खास तौर पर प्रधानमंत्री जी से अपील करना चाहते हैं कि फिक्की के अधिवेशन में भारत की उद्योग नीति को लेकर चर्चा करें, लेकिन किसानों के मुद्दे पर आप किसानों से सीधे बात करने से क्यों पीछे हट रहे हैं? आप कह रहे हैं कि कृषि कानून देश के लिए बेहतरी का रास्ता है, तो आप किसान नेताओं से बात करके उन्हें क्यों नहीं समझा रहे हैं? केंद्र सरकार के मंत्री और भाजपा के नेता कह रहे थे कि लोगों ने किसानों को गुमराह कर दिया है। हम किसानों को समझाएंगे कि इस कृषि बिल के क्या फायदे हैं? किसानों के साथ 6 दौर की वार्ता हुई, किसानों को देश के तीन मंत्रियों, गृहमंत्री ने समझाया कि इस कृषि बिल से किसानों का क्या फायदा है? सरकार ने भी विज्ञान भवन में प्रजेंटेशन दिया और किसान नेताओं के प्रतिनिधियों ने भी प्रेजेंटेशन दिया। यह सच है कि सरकार ने माना है कि तीनों कृषि बिल में कमियां हैं। सरकार ने यह भी माना है कि हमसे गलती हुई है। सरकार ने यह माना कि हमें पहले किसानों से वार्ता करनी चाहिए थी। कृषि कानून बनाने से पहले सरकार ने यह माना कि राज्यसभा के अंदर इस पर बातचीत-बहस होनी चाहिए थी जब सरकार यह सब मान रही है तो किसानों के वाजिब मांग को पूरा करते हुए तीनो बिल वापस लेने चाहिए।
जिला सचिव गीतेश ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 18 दिनों से देश के किसान सड़क पर आंदोलनरत हैं। अभी तक जो आधिकारिक रिपोर्ट सामने आ रही है, उसके मुताबिक लगभग 11 किसानों की जान जा चुकी है। लेकिन केंद्र सरकार, भाजपा के नेता, मंत्री अपने अहंकार में चूर हैं। उनको लगता है कि एक न एक दिन इस आंदोलन को तोड़ देंगे और बदनाम कर देंगे। इस बढ़ती ठंड की वजह से किसान अपने घर चले जाएंगे। मुझे लगता है कि वो गलतफहमी में है। देश के किसान की जिदंगी का सवाल है। अभी तक 11 जान जा चुकी हैं और फिर भी वो इस कड़ाके की ठंड में सड़क पर डटे हुए हैं। मुझे लगता है कि भाजपा के नेताओं, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, कृषि मंत्री को आज देश के अन्नदाता की खातिर अपने अहंकार को छोड़कर उनकी मांगोंको पूरा करने की जरूरत है। किसानों ने आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए सामूहिक उपवास का आह्वान किया है। किसान आंदोलन के समर्थन में आम आदमी पार्टी ने निर्णय लिया है कि बिना झंडा और टोपी के आज प्रदेश भर में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता उपवास करेंगे और आंदोलन का समर्थन करेंगे।
संगठन मंत्री विवेक शर्मा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार ने यह माना कि इसमें संशोधन की गुंजाइश है। अगर सरकार मान रही है कि इनमें कमियां हैं, तो फिर उस बिल को वापस लेने में क्यों हिचकिचा जा रही हैं? क्या सरकार का अहंकार इसमें आड़े आ रहा है? जब आप खुद ही मान रहे हो कि इसमें कमियां हैं। लिखित तौर पर आपने दिया कि हमसे चूक-गलती हुई है और इसमें कमियां है। अगर इसमें कमियां है, तो उसे ठीक करने की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी केंद्र सरकार की बनती है। हम अब देख रहे हैं कि सरकार गलती मानने के बावजूद अपने अहंकार में फिर हमलावर हो रही है। मैं सरकार से मांग करना चाहता हूं कि इस आंदोलन को बदनाम करना बंद करिए। आप सोचते हो कि इस आंदोलन को बदनाम करेंगे और देश के किसान गुमराह हो जाएंगे। दो दिन से खबर आ रही है कि आप अलग-अलग किसान नेताओं से बात करके उनकी एकता को तोड़ना चाह रहे हो। आप सोचते हो कि उनकी एकता तोड़कर के इस आंदोलन को खत्म कर देंगे। मुझे लगता है कि सरकार को आज गंभीरता से विचार करना चाहिए। अब प्रधानमंत्री को सीधे हस्तक्षेप करना चाहिए। इधर-उधर सभाओं में जाकर बात करने की जगह सीधे किसान नेताओं को बुलाकर मिलना चाहिए। अगर बिल सही है, तो उनको समझाना चाहिए और अगर कमियां हैं, तो इस बिल को वापस लेकर के नए सिरे से कानून बनाने की तरफ बढ़ना चाहिए। मुझे लगता है कि इस देश के लाखों किसानों से बड़ा किसी सरकार का अहंकार नहीं हो सकता है। आम आदमी पार्टी इन किसान आंदोलनकारियों के समर्थन में है। हम सामूहिक उपवास करके इस आंदोलन को समर्थन देंगे।
यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ किसानों के आंदोलन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जो आंदोलन है, उसे आगे भी तेज करेगी।आम आदमी पार्टी बस्तर के उपवास में जिलाध्यक्ष तरुणा बेदरकर के साथ जिला सचिव गीतेश सिंगाड़े,जिला संगठन मंत्री विवेक शर्मा और जगदलपुर विधानसभा व्यापार प्रकोष्ठ अध्यक्ष धीरज जैन उपवास पर बैठें।
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