आचार्य श्री महाश्रमण ने 50000 किलोमीटर की पदयात्रा कर रचा एक इतिहास
Bureau report Rajesh Prasad
आचार्य श्री महाश्रमण ने 50000 किलोमीटर की पदयात्रा कर रचा एक इतिहास
भारत के 23 राज्यों, नेपाल व भूटान में जगाई अहि ंसा की अलख
28 जनवरी 2021। अहिंसा यात्रा के प्रणेता तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने
आज अपने पावन कदमों स े पदयात्रा करते हुए 50000 किलोमीटर के आंकड़े को पार कर एक नए इतिहास
का सृजन कर लिया। आज के भा ैतिक संसाधनों से भरपूर युग में जहां यातायात के इतन े साधन हंै,
व्यवस्थाएं हंै, फिर भी भारतीय ऋषि पर ंपरा को जीवित रखते हुए महान परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी
जनोपकार के लिए निर ंतर पदयात्रा कर रहे ह ैं। भारत के 23 राज्यों और नेपाल व भूटान म ें सद्भावना
नैतिकता, एवं नशामुक्ति की अलख जगाने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी की प्रेरणा से प्रभावित होकर करोड़ों
लोग नशामुक्ति की प्रतिज्ञा स्वीकार कर चुके हैं।
वर्तमान में नक्सल प्रभावित बस्तर अंचल में यात्रायित आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज प्रातः कोण्डागांव जिले
के दहीकोंगा से जिला म ुख्यालय कांेडागांव की ओर प्रस्थान किया और करीब सात सौ मीटर की दूरी तय
करने के उपरान्त उन्होंने अपनी पदयात्रा का 6 करोड़ 94 लाख 4 हजार 444वां कदम रखते हुए 50000
किलोमीटर के आंकडे़ को पार कर लिया।
देश की राजधानी दिल्ली के लालकिले से सन् 2014 में अहिंसा यात्रा का प्रार ंभ करने वाले आचार्यश्री ने न
केवल भारत, अपितु न ेपाल, भूटान जैस े देशों में भी मानवता के उत्थान का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
आचार्यश्री देश के राष्ट्रपति भवन से लेकर गांवों की झांेपड़ी तक शांति का संद ेश देने का कार्य कर रहे हैं।
यात्रा के दौरान राजनेता हो या अभिनेता, न्यायाधीश हो या उद्योगपति, सेना के जवान हो या पुलिस के,
विशिष्ट जनों से लेकर सामान्य जन तक जो भी आचार्यश्री के संपर्क में आता है, आपसे प्रेरित होकर अहि सा
यात्रा के संकल्पों को जीवन में उतारने के लिए प्रतिबद्ध हो जाता है। आचार्यश्री की प्रेरणा से हर जाति,
धर्म, वर्ग के लाखो ं-लाखों लोगो ं ने इस सुदीर्घ अहि ंसा यात्रा में सद ्भावना, न ैतिकता और नशाम ुक्ति के
संकल्पों को स्वीकार किया है।
अहि ंसा यात्रा के प्रार ंभ से पूर्व भी सुप ्रसिद्ध जैन आचार्यश्री महाश्रमणजी न े स्वपरकल्याण के उद्देश्य से करीब
34000 किलोमीटर का पैदल सफर कर लिया था। बारह वर्ष की अल्पआयु में अणुव्रत प्रवर्तक आचार्यश्री
तुलसी के शिष्य के रूप में दीक्षित तथा प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के उत्तराधिकारी के रूप में
प्रतिष्ठित आचार्यश्री महाश्रमण ने अब तक भारत के दिल्ली, उत्तरप्रद ेश, हरियाणा, प ंजाब, गुजरात, राजस्थान,
मध्यप्रदेश, बिहार, असम, नागालैण्ड, मेघालय, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उडीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल,
पांडिचेरी, आंध्रप ्रदेश, तेंलगाना, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ राज्य तथा नेपाल व भूटान की पदयात्रा कर लोगों
को सदाचार की राह पर चलने के लिए प ्रेरित किया और उन्हें ध्यान, योग आदि का प्रशिक्षण देकर उनकी
दुर्वृतियों के परिष्कार का पथ भी प्रशस्त किया। हृदय परिवर्तन पर बल देने वाले आचार्यश्री न े अपनी यात्रा
के दौरान विभिन्न संगोष्ठियों, कार्यशालाओं के माध्यम से भी जनता को प्रशिक्षित किया।
कच्छ से काठमाण्डू और कांजीर ंगा से कन्याकुमारी तक ही नहीं, पाकिस्तान और बांगलादेश की सीमा से
लगे भारत के सीमान्त क्षेत्रो ं में भी आचार्यश्री की पदयात्रा का प्रभाव द ेखा जा सकता है। आचार्यश्री की
पदयात्राएं असाम्प्रदायिक संदेश के साथ होती हैं, यही कारण है कि हर जाति, वर्ग, क्षेत्र, संप ्रदाय की जनता
की ओर से आचार्यश्री के मानवता को समर्पित अभियान को व्यापक समर्थन प ्राप्त होता है।
यात्रा के दौरान जहां बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, स्वामी अवधेशानंद गिरि,
स्वामी निरंजनानन्द, मौलाना अरशद मदनी जैसे विभिन्न धर्म गुरुओ ं न े आचार्यश्री से मिलकर उनके
जनकल्याणकारी अभियान के प्रति समर्थन प्रस्तुत किया, वहीं राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द, प्रधानम ंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम, श्री प्रणव मुखर्जी, श्रीमती प ्रतिभा पाटिल, नेपाल की
राष्ट ªपति श्रीमती विद्या भंडारी, प्रधानम ंत्री श्री के.पी. शर्मा ओली, पूर्व राष्ट ªपति श्री रामवरण यादव, प ूर्व
प्रधानम ंत्री श्री सुशील कोइराला, श्री मोहन भागवत, श्री सुर ेश भैया जी जोशी, श्री अमित शाह, श्री लालकृष्ण
आडवाणी, श्री पीय ूष गोयल, श्री राजनाथ सिंह, श्रीमती सोनिया गांधी, श्री राहुल गांधी, श्री पी चिदंबरम आदि
अनेकों राजनेताओं आदि भी आचार्यश्री के सान्निध्य म ें पहुंचे और उनके द्वारा किए जा रहे समाजोत्थान के
महत्त्वपूर्ण कार्या ें में अपनी भी संभागिता दर्ज कराई। इसके साथ-साथ श्री नीतिशकुमार, श्री अशोक गहलोत,
श्री नवीन पटनायक, श्री सर्वानंद सोना ेवाल, सुश्री ममता बनर्जी, श्री य ेद्दुयिरप्पा, श्री पलानी स्वामी, श्री
अरविन्द केजरीवाल आदि कई मुख्यमंत्रियों व राज्यपालों सहित कई विशिष्ट लोगों ने भी अहि ंसा यात्रा में
अपनी सहभागिता की।
आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी पदयात्राओं के दौरान प्रतिदिन 15-20 किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं।
जैन साधु की कठोर दिनचर्या का पालन और प्रातः चार बजे उठकर घंटों तक जप-ध्यान की साधना में
लीन रहने वाले आचार्यश्री प्रतिदिन प ्रवचन के माध्यम से भी जनता को संबोधित करते हैं। इसके साथ-साथ
आचार्यश्री के सान्निध्य में सर्व धर्म सम्मेलनों, प्रबुद्ध वर्ग सहित विभिन्न वर्गाें की संगोष्ठियो ं आदि का आयोजन
होता रहता है, जो समाज सुधार की दृष्टि म ें अत्यन्त लाभप्रदायक सिद्ध होती हंै। प ्रलम्ब पदयात्रा में
आचार्यश्री के साहित्य सृजन का क्रम भी निरन्तर चलता रहता है। आचार्यश्री के नेतृत्व में 750 से अधिक
साधु-साध्वियां आ ैर हजारों कार्यकर्ता भी देश-विदेश में समाजोत्थान के महत्त्वपूर्ण कार्य में संलग्न हैं।
चरैवेति-चर ैवेति सूत्र के साथ गतिमान आचार्य श्री की यह 50000 किलोमीटर की यात्रा अपने आप में
विलक्षण है। आंकड ़ों पर गौर कर ें तो यह पदयात्रा राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा से 125 गुना
ज्यादा बड़ी और प ृथ्वी की परिधि से सवा गुना अधिक है। यदि र्कोइ व्यक्ति इतनी पदयात्रा करे तो वह
भारत के उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर अथवा पूर्वी छोर से पश्चिमी छोर तक की 15 बार से ज्यादा यात्रा कर
सकता है।
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