डिमरापाल अस्पताल के नाम बदलने के खिलाफ विरोध में आगे आए पूर्व विधायक संतोष बाफना...
डिमरापाल अस्पताल के नाम बदलने के खिलाफ विरोध में आगे आए पूर्व विधायक संतोष बाफना...
हिंदुस्तान समाचार जगदलपुर... बस्तर की राजनीति में उच्च दर्जा प्राप्त दो राजनीतिक दिग्गज जिनमें भाजपा से स्वर्गीय बलीराम कश्यप और कांग्रेस से स्वर्गीय महेंद्र कर्मा शामिल है दोनों ही नेताओं को पार्टी के कार्यकर्ता अपना आदर्श मानते हैं जिसके चलते दोनों पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इन दिनों आमने सामने हैं दरअसल कांग्रेस सरकार ने स्वर्गीय बलीराम कश्यप मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल का नामकरण स्वर्गीय महेंद्र कर्मा के नाम से करने का निर्णय लिया है जिसके विरोध में जगदलपुर के पूर्व विधायक संतोष बाफना ने अपना पक्ष रखा है
बस्तर में स्व. बलीराम कश्यप मेडिकल काॅलेज सह अस्पताल का नाम बदलने के काॅग्रेस सरकार के फैसले को लेकर भाजपा ने प्रदेश सरकार को घेरना प्रारंभ कर दिया है। संबंधित मामलें पर भाजपा नेता एवं क्षेत्र के पूर्व विधायक संतोष बाफना ने अपना कड़ा रूख अख्तियार करते हुए बयान जारी करके अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
पूर्व विधायक बाफना ने कहा है कि, बस्तर के जनमानस की सेवा में अपना पूरा जीवन खपा देने वाले स्व. दादा बलीराम कश्यप जी के इतिहास को मिटाने एवं उन्हें अपमानित करने के लिए ही काॅग्रेसी सरकार के द्वारा इस प्रकार का निंदनीय फैसला लिया गया है।ढाई वर्ष के कार्यकाल में इस सरकार के पास अपने किये गए कार्यों पर गर्व करने लायक कोई उपलब्धि ही नहीं है इसलिए अपनी घटिया एवं ओछी मानसिकता का परिचय दिया है इस निकम्मी कांग्रेस सरकार ने।
मेडिकल काॅलेज सह अस्पताल का नाम परिवर्तन करने का आदेश बहुत ही शर्मनाक है। रही बात महेन्द्र कर्मा जी की, वे स्वयं दादा बलीराम कश्यप जी के कार्यों के मुरीद थे। ऐसा नहीं है कि, भाजपा स्व. महेन्द्र कर्मा जी के नाम का विरोध कर रही है। भाजपा जितना सम्मान स्व. दादा बलीराम कश्यप जी का करती है उतना ही सम्मान भाजपा के लिए स्व. महेन्द्र कर्मा जी का भी है। क्योंकि स्व. महेंद्र कर्मा जी भी बस्तर के जनमानस की आवाज विधानसभा हो या लोकसभा में पूरी दमदारी के साथ उठाते रहे हैं लेकिन आज इस विकास विरोधी काॅग्रेस सरकार के फैसले एवं बस्तर के तथाकथित काॅग्रेसी नेता जिन्होंने नाम परिवर्तन करने की सिफारिश की है आज ऐसे इनके जनप्रतिनिधियों की घटिया सोच से खुद स्व. कर्मा जी को भी निश्चित ही शर्मिदंगी महसूस हो रही होगी।
भाजपा स्व. महेन्द्र कर्मा जी के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है लेकिन मेडिकल काॅलेज का नाम परिवर्तन करने से यह कतई न समझे की इस मामलें में भाजपा और उसके समस्त कार्यकर्ता मूक दर्शक बने रहेंगे। जितनी जल्दी हो सके प्रदेश सरकार इस बात को समझ लें, भाजपा स्व. दादा बलीराम कश्यप जी का अनादर बर्दाश्त नहीं करेगी। सड़क से लेकर सदन तक यदि लड़ाई भी लड़नी पड़ी तो इसके लिए भाजपा पीछे नहीं हटेगी।
यदि सरकार को स्व. महेन्द्र कर्मा जी की स्मृति को बनाए रखने के लिए कुछ करना ही है तो सरकार को अपने बजट से बस्तर में एक नए अस्पताल की स्थापना कर उसका नामकरण स्व. महेन्द्र कर्मा जी या फिर अपने अन्य नेताओं के नाम पर करके उन्हें श्रद्धांजली दे सकते है।
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