नगर पंचायत केशकाल के वरिष्ठ पार्षद सगीर खान ने कहा कि जिला प्रशासन के लचर व्यवस्था की कारण आम लोगों को रेत दुगने तिगुने दाम पर खरीदना पड़ रहा है
नगर पंचायत केशकाल के वरिष्ठ पार्षद सगीर खान ने कहा कि जिला प्रशासन के लचर व्यवस्था की कारण आम लोगों को रेत दुगने तिगुने दाम पर खरीदना पड़ रहा है
हिंदुस्तान समाचार जिससे आम जनता परेशान है और शासकीय निर्माण कार्य की गति धीमी हो गई है।छत्तीसगढ शासन की नई खनिज नीति के अनुसार रेत की चिन्हांकित खदानों का निर्धारित समय पर खुली निविदा आमंत्रित की जानी थी किन्तु कोंडागांव जिले के समस्त चिन्हांकित खदानों कुछ खदानों की नीलामी प्रक्रिया पूर्ण तो है लेकिन उन खदानों में रेत प्रचुर मात्रा है नहीं और जिन खदानों में रेत प्रचुर मात्रा में है या तो वो चिन्हांकित नहीं है या फिर नीलामी प्रक्रिया ठंडे बस्ते में है।अब हम केशकाल की बात करें तो दो चिन्हांकित खदान है एक गारका नदी दूसरी बड़ेखौली नदी इन दोनों खदानों में बदेंखौली में रेत प्रचुर मात्रा में है और अंधाधुन खनन से गारका नदी का अस्तित्व ही ख़तरे में है और बडेखौली में प्रचुर मात्रा में रेत है तो उक्त खदान की नीलामी प्रक्रिया अधर में है इसके अतिरिक्त चेरबेडा, बारदा,सिकागांव और टोषकापाल नदी में प्रचुर मात्रा में रेत तो है लेकिन खनिज विभाग द्वारा आज तक उक्त नदियों को चिन्हांकित नहीं किया गया है।जिला प्रशासन की लचर व्यवस्था की कारण पहली बार रेत माफिया के सक्रिय होने के प्रमाण मिल रहे हैं इससे पहले सम्पूर्ण बस्तर संभाग में किसी ने भी रेत माफिया शब्द भी नहीं सुना था।
उन्होंने कहा कि गारका नदी से आने वाली रेत दुगने दामों पर आम लोग खरीदने में मजबूर हैं जब मैंने इस विषय में जानकारी ली तो पता चला उक्त खदान का ठेकेदार शासन की निर्धारित दर 166.25 प्रति घन मीटर ले रहा किन्तु ग्राम पंचायत भी अगल से 250 रुपए ले रही है जबकि नियमानुसार यदि ठेका हो गया है तो 166.25 घन मीटर के आलावा कोई भी अतिरिक्त राशि किसी के द्वारा भी लिया जाना अवैध है और जब मैंने ठेकेदार से बात कि तो पता चला कि ग्राम पंचायत द्वारा अतिरिक्त राशि ली जा रही है।उक्त सब कारणों की वजह से आम लोगों को दुगने दाम पर रेत खरीदना पड़ रहा है जबकि प्रशासन की जिम्मेदारी है कि गारका नदी की रेत पर स्थिति स्पष्ट करते हुए,अवैध खनन पर रोक लगाई जाने के लिए शक्त कार्यवाही की जानी चाहिए।
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