प्रदेश और देश में होने वाले सामूहिक दुष्कर्म को लेकर विधायक कृष्ण कुमार ध्रुव का एक बड़ा बयान

  बस्तर संभाग ब्यूरो राजेश प्रसाद


केशकाल । प्रदेश और देश में होने वाले घृणित सामूहिक दुष्कर्म तथा उसके चलते होने वाले हत्या, आत्म हत्या को लेकर और हमारे आदिवासी बाहुल्य बस्तर में होने वाले सामूहिक दुष्कर्म, हत्या आत्महत्या को लेकर राजनेताओं का तथा सरकारों का दृष्टिकोण अलग अलग हो जाता है यह समझ से परे है।यह कहना है केशकाल विधानसभा के पूर्व 

विधायक कृष्णकुमार ध्रुव का।                                   


 पूर्व आदिवासी विधायक ने  विज्ञप्ति जारी करके छोटेओडागांव की हुई दर्दनाक घटना पर छत्तीसगढ़ सरकार एवं केंद्र सरकार के साथ सत्तारूढ़ पार्टी व विपक्षी पार्टी के नेताओं के बर्ताव को भेदभाव एवं उपेक्षापूर्ण ठहराते दुःख  व्यक्त किया है। श्री ध्रुव का कहना है कि अभी ही उत्तरप्रदेश के हाथरस में एवं छत्तीसगढ़ के वाड्रफनगर में घटित हुई घटना को और हमारे केशकाल विधानसभा के छोटेओडागांव में घटित घटना पर सरकार का तथा पक्ष विपक्ष के नेताओं का आंकलन करने का दृष्टिकोण अलग अलग रहा जिसके चलते पीड़िता के परिवार तक पहुंचकर सांत्वना देने में , सहायता राशि प्रदान करने में और कार्यवाही करने में भेदभाव बरता गया। इसका क्या कारण रहा मेरे और जनसामान्य के समझ से परे है।मुझे लगता है कि उत्तरप्रदेश के हाथरस की घटना को राष्ट्रीय न्यूज चैनलों एवं समाचार में जमकर प्रसारित किया गया और राष्ट्रीय नेताओं ने उस पर जमकर बयानबाजी किया इसलिए शायद पीडित परिवार की सुधि ज्यादा लिया गया । इसी तरह हमारे ही छत्तीसगढ़ के वाड्रफनगर में गैंगरेप की घटना उजागर होते ही प्रदेश सरकार को दो मंत्री पीड़िता के घर तक पंहुच गये तथा नेताओं का तांता लग गया । मंत्रिमण्डल की बैठक में घटना पर दुख व्यक्त करते सरकार के गंभीर होने का संदेश देने के लिए एस डी ओ पी थानेदार को निलंबित कर दिया गया और राहत राशि देने की बड़ी उदारता से घोषंणा कर दिया गया।   जबकि वही केशकाल के छोटेओडागांव में घटित घटना की सुधि लेने का समय न सरकार को मिला न उनके किसी मंत्री को समय मिला और हाथरस वाड्रफनगर जैसी कोई कार्रवाई ही किया गया। राहत राशि देने के नाम पर महज माखौल उडाते अपना नाम और अपनी राजनीति चमकाने का तुच्छ हरकत किया गया।सरकार पीड़िता के परिवार को कब क्या देगी ? यह अभी तक अटकल लगाया जा रहा है। छोटेओडागांव के मामले में घिनौना आपराधिक कृत्य करने वाले तत्कालीन थानेदार पर अभी तक कोई कानूनी कार्यवाही न कर उसे बचा निकालने का उपक्रम किया जा रहा है। केशकाल अनुविभाग के अंर्तगत नाबालिग बच्चियों एवं महिलाओं के साथ बढ़ते दुष्कर्म  और अवयस्क बच्चियों तथा कुंवारी लड़कियों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों को न पुलिस प्रशासन ने गंभीरता से लिया और न सरकार ने।धनौरा थाने में पेंडिंग रखें गये प्रकरंणों पर और ईरागांव में घटित दुष्कर्म के मामलों को मीडिया संज्ञान में न लाती तो जिस तरह छोटे ओडागांव के मामले को महज कुछ हजार के लालच में दबाकर रख दिया गया था उसी तरह दफन कर दिया गया होता। केशकाल पुलिस अनुविभाग के सभी थानों में गंभीर मामलों का आंकड़ा और पेंडिंग अनसुलझे मामलों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता रहा पर पुलिस अधिकारी बड़े शाने शौकत से आराम फरमाते गाल बजाते रहे । सरकार की पुलिस के साथ बाल संरक्षण इकाई महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग दुष्कर्म पीड़िताओं के मामले में संवेदन शून्य बने रहे । दुष्कर्म पीड़िताओं को सुलभ कराये जाने वाले  सेवा सहायता और क्षतिपूर्ति राशि को प्रदान करने में उपेक्षात्मक व्यवहार करने वाले भी आनंद पूर्वक लाभ उठाते अपने पदों पर जमे हुए हैं।पूर्व विधायक का कहना है कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री नीरो की भूमिका अदा करते बड़ी शान से अपनी उपलब्धि गिनाते नहीं अघा रहे हैं पर वो सत्ता पाते ही कितने निर्दयी हो चुके हैं यह उनके  द्वारा छोटेओडागांव जैसे ह्रदयविदारक मामले में बरते गये उनके व्यवहार से जग जाहिर हो जाता है। श्री ध्रुव ने मुख्य विपक्षी पार्टी पर भी ओडागांव के मामले पर गंभीरता से ध्यान न देने का आरोप लगाया है। विपक्षी पार्टी के स्थानीय नेता भले ओडागांव पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराये पर प्रदेश का कोई भी बड़ा नेता यहा तक आने और पीड़िता को सरकारी सहायता राशि दिलाने को लेकर या मामले की जांच को लेकर कोई पहल प्रयास किया न गंभीरता से मांग उठाया।       पूर्व विधायक कृष्णकुमार ध्रुव ने यह मांग किया है कि प्रदेश के गृहमंत्री को अपने पुलिस की हरकत के लिए अविलंब अपना त्याग पत्र दे देना चाहिए और सरकार को पीड़िता के परिवार को एक करोड़ रूपया देते परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना चाहिए तथा दुष्कर्म पीड़िताओं के मामले को गंभीरता से लेकर प्रभावी कदम न उठाने वाले पुलिस अधिकारी के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग बाल संरक्षण इकाई तथा स्वास्थ्य विभाग के दोषी अधिकारी कर्मचारी पर भी तुरंत सख्त कार्रवाई करना चाहिए ताकि भविष्य में कोई हिलहवाला करने का दुस्साहस न कर सके।

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