केशकाल। केशकाल विधानसभा के पूर्व विधायक कृष्णकुमार ध्रुव ने नाबालिग कुंवारी लड़कियों के असमय मृत्यु आत्म हत्या पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए मांग किया है कि बाल अधिकार आयोग महिला आयोग एवं सरकार को बढ़ते महिला अपराध एवं आत्महत्या के प्रकरंणों पर गंभीरता से गौर करना चाहिए।
ब्यूरो रिपोर्ट राजेश प्रसाद
केशकाल। केशकाल विधानसभा के पूर्व विधायक कृष्णकुमार ध्रुव ने नाबालिग कुंवारी लड़कियों के असमय मृत्यु आत्म हत्या पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए मांग किया है कि बाल अधिकार आयोग महिला आयोग एवं सरकार को बढ़ते महिला अपराध एवं आत्महत्या के प्रकरंणों पर गंभीरता से गौर करना चाहिए। पूर्व
विधायक का कहना है कि हमारे आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग में नाबालिग बच्चीयों और अविवाहित लड़कियों के सांथ दुष्कर्म करने का तथा उनके द्वारा आत्महत्या करने का जो आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है वो चिंता पैदा करने वाली है। गांव में आज भी अशिक्षा अज्ञानता और प्रभावी लोगों का बोलबाला है जिसके चलते रेप गैंगरेप आत्महत्या जैसे गंभीर ह्रदयविदारक घृणिंत अपराधों को दबा दिया जाता है जैसे की अभी हाल में फरसगांव तहसील धनौरा थाना के छोटे ओडागांव का मामला उजागर हुआ है। अत्यंत विडंबनापूर्ण बात यह भी है कि कानून के रखवाले जिन्हे हम रक्षक मानते हैं वो भी चंद रूपयों के खातिर रक्षक की बजाय भक्षक की भूमिका अदा करने से भी बाज नहीं आते । यदा कदा छोटे ओडागांव जैसा मामला उजागर हो जाता है और उसमें देशभक्ति जनसेवा का तमगा लगाने वाले जिम्मेदार पुलिस अधिकारी की भूमिका भी उजागर हो जाती है तो उसे बहुत सामान्य तौर पर लेते हुए निलम्बित करके बख्श देने की कोशिश किया जाता है जबकि अपराध कायम करके अभियुक्त बनाकर कडी से कडी कार्यवाही किया जाना चाहिए। श्री ध्रुव जी ने पुलिस विभाग के रवैय्यै पर क्षोभ व्यक्त करते कहा है कि एक पुलिस वाला ही केशकाल बडपारा की रहने वाली गरीब आदिवासी लड़की को अपनी हवश का शिकार बनाकर उसे एक बच्ची की मां बनाकर दुनिया उलाहना और ठोकर खाने छोड़ दिया ।जिसके चलते वह लड़की अपना मानसीक संतुलन खो बैठी और दर दर भटकते फिरने को लाचार हो गयी थी। उस जालिम पुलिस वाले ने उसकी न सुध लिया और न किसी अस्पताल तक ले जाकर इलाज कराया अंततः वह लड़की असमय ही मर गयी। मां के मरने के बाद आज उसकी नन्ही बच्ची माता पिता के साये से मरहूम रहकर अपने मामा मामी के आसरे जीने को लाचार हो गयी है। पुलिस विभाग अपने विभाग के इस करिंदे पर सहानुभूति बरतते न कोई परिणांमजनक विभागीय या कानूनी कार्यवाही कर रही है और उसके पाप का फल भोगती नन्ही बच्ची को उसका हक दिला रही है। पूर्व विधायक का कहना है कि जब भी कोई नाबालिग बच्ची और अविवाहित कुंवारी लड़की यातना प्रताड़ना वश आत्महत्या करके अपनी जान दे देती है तो उसे बड़ी सहजता से लेते हुए आत्महत्या मानकर पुलिस अपने कर्त्तव्य की इति श्री कर लेती है और मौत के कारण पर सवाल करने पर बड़ी मासूमियत से यह बता दिया जाता है कि पी एम रिपोर्ट में डाक्टर ने आत्म हत्या बताया है इसलिए अब हम कुछ नहीं कर सकते। इसलिए मैं यह मांग करता हूं कि जब भी कोई नाबालिग बच्ची या बालिग कुंवारी लड़की आत्महत्या करें तो पी एम रिपोर्ट में डाक्टर को जांचकर यह साफ साफ ओपनियन लिखना चाहिए की उस लड़की का दैहिक शोषंण करते उससे शारीरिक संबंध बनाया गया है की नहीं। क्योंकि अधिकतर यह होते आ रहा है कि नाबालिग लड़की एवं कुंवारी लड़की को प्रेम प्यार का सब्जबाग दिखाकर उससे पहले शारीरिक संबंध बना दैहिक शोषंण किया जाता है और जब गर्भ ठहर जाता है या फिर विवाह करने की बात आता है तो लड़का मुकर जाता है जिसके कारंण लड़की के सामने बहुत विकट समस्या उत्पन्न हो जाता है और वो जहर खाकर या फांसी लगाकर अपनी जान दे देने को लाचार हो जाती है। महिला आयोग चाईल्ड हेल्प और सरकार को इस तथ्य की ओर बहुत संवेदना एवं गंभीरता पूर्वक चिंतन मनन करके पोस्टमार्टम के संबंध में नया दिशा निर्देश जारी करना चाहिए जिससे लैंगिक शोषण के चलते बढ़ते मौत के आंकड़ों पर अंकुश लग सके।
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