मिट्टी का यह घरौंदा बरसात की मार झेल नहीं पाया और भराभरा कर गिर गया , घरोंदे में रहने वालों को बरसाती पानी -धूप- शीत से बचने झिल्ली तानकर गुजर बसर करना पड़ रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट राजेश प्रसाद
लगभग दो माह बीत चुका है पर रहनुमाओं ने अपनी नजरें इनायत करना जरूरी नहीं समझा।उपर से बरसने वाले बरसाती पानी से झिल्ली ने बचा दिया पर अब चारों तरफ मांस पेशियों को भेदते हड्डियों में कंपकंपी पैदा कर देने वाली ठंडी बयार तो जान ही ले लेगी , जिसके चलते न चाहते हुए भी अपना हाल बंया करने को परिवार लाचार हो गया है।
आज नहीं तो कल - कल नहीं तो परसों पंचायत के परमेश्वर और सरकार के रहुनमा हाल - हालात देखकर राहत दे देंगे ,और कुछ नहीं देंगे तो प्रतिक्षारत आवास योजना की सूची में से एक आवास ही दे देंगे यह उम्मीद संजोयेे सब्र रखें इंतजार करने वालों को जब लगने लगा की इंतजार करते अब तो जान ही चली जायेगी तब वो न किसी से शिकवा--न किसी से गिला का भाव रखते बस अपने ही नसीब को कोसते अपना दुखड़ा सूनाने फिरने को विवश हो गये हैं। कोंडागांव जिला फरसगांव ब्लाक के अंतिम छोर पर स्थित ग्राम-चनियागांव में रहने वाले रामकुमार वर्मा का घर लगभग 2 माह पूर्व अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त हो गया।इसकी जानकारी पटवारी को न हो ऐसा हो नहीं सकता पर पटवारी जनाब ने इसकी जानकारी सहित राहत राशि दिलाने प्रतिवेदन तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत किया कि नहीं - ॽ और तहसीलदार ने इस पर गौर किया की नहीं -ॽ आज तक प्रभावित प्रताड़ित परिवार को राहत क्यों नहीं मिला- ॽ यह सब अनुत्तरित है । संवेदनशील जनकल्याणकारी गरीब हितैषी सरकार के राज में क्या- प्रकृति की मार झेलते परिवार को भगवान भरोसे गुजारा करते अपने प्रांणों को न्यौछावर कर देने को लाचार होना पडेगा-ॽ
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